उम्मीदों के परिंदे
उम्मीदों के परिंदे उड़ने लगे आज बरसों के बाद
एक उम्र जी रही हूं मैं एक उम्र जी लेने के बाद
दरार ए दरिचों से देखा था रक्स ए जिन्दगी
आज बांधे है घुंघरू पांव कट जाने के बाद
किसे पता था छीन जायेगी पहचान ही हमारी
पहचाना है खुद को आईना देख लेने के बाद
#shubh
© shubhra pandey
एक उम्र जी रही हूं मैं एक उम्र जी लेने के बाद
दरार ए दरिचों से देखा था रक्स ए जिन्दगी
आज बांधे है घुंघरू पांव कट जाने के बाद
किसे पता था छीन जायेगी पहचान ही हमारी
पहचाना है खुद को आईना देख लेने के बाद
#shubh
© shubhra pandey