...

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बिते लम्हें _ _ _
प्यार मोहब्बत से परे थीं,
पेहली बार इश्क की गल्ली मैं खड़ी थीं ।
दिन तो वो बड़े गजब के आए थे,
शामों के बाते भि हसिन हुआ करती थीं ।

अनजान थी इस मोहब्बत से,
फिर भि गजब का इश्क कर बैठी थीं।
हर दुआ मैं झिकर हो जिसका,
कुछ ऐसी आदत सि हो गई थी उसकी।

बैनाम सा एक रिश्ता जुड़ गया,
दोस्त भि केहने लगे, यार!!!
इन्हे प्यार बड़ा गजब का हो गया।

ना जाने क्यु पर किस्मत, साथ ना दे पाई,
वक्त, दुआ, इंसान तो क्या,,,,
यहाँ तक की मनते भि कुछ राझ ना आई ।
बिछड़ कुछ इस कदर गऐ ,
मानो मिलना अब जैसे नसीब में ही ना था।
दिल तो बेचारा प्यार कर बैठा ,
जिदंगी उनके नाम कर बैठा।

माना हर मोहब्बत मुकम्मल नहीं होती,
फिर भि एक शिकायत हे, खुदा तुझसे
प्यार की कहानी हमेंशा अधूरी क्यु है रेहती।

वो बिते लम्हें आज भि याद आते हैं,
तेरे साथ जुड़े, वो यादे रूलाते हैं ।
हकीकत में ना सही, ख्वाबों में जरुर आना ,
इस रिश्ते को, अब दोस्ती की तरह निभाना।

@W.Girija