बिते लम्हें _ _ _
प्यार मोहब्बत से परे थीं,
पेहली बार इश्क की गल्ली मैं खड़ी थीं ।
दिन तो वो बड़े गजब के आए थे,
शामों के बाते भि हसिन हुआ करती थीं ।
अनजान थी इस मोहब्बत से,
फिर भि गजब का इश्क कर बैठी थीं।
हर दुआ मैं झिकर हो जिसका,
कुछ ऐसी आदत सि हो गई थी उसकी।
बैनाम सा एक रिश्ता जुड़ गया,
दोस्त भि केहने लगे, यार!!!
इन्हे प्यार बड़ा गजब का हो...
पेहली बार इश्क की गल्ली मैं खड़ी थीं ।
दिन तो वो बड़े गजब के आए थे,
शामों के बाते भि हसिन हुआ करती थीं ।
अनजान थी इस मोहब्बत से,
फिर भि गजब का इश्क कर बैठी थीं।
हर दुआ मैं झिकर हो जिसका,
कुछ ऐसी आदत सि हो गई थी उसकी।
बैनाम सा एक रिश्ता जुड़ गया,
दोस्त भि केहने लगे, यार!!!
इन्हे प्यार बड़ा गजब का हो...