...

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गरीब
किसी को पिज़्ज़ा बर्गर जैसी महंगी चीज़े भी पसंद नहीं हैं
तो किसी को दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं हैं।
किसी को ब्रांडेड जूतों की भी कदर नहीं हैं,
तो किसी के पैरो के छालों की गिनती नहीं हैं
कोई आलीशान महलो मे रहकर भी ख़ुश नहीं है,
तो कोई हाथों मे कटोरा लिए भी मुस्कुरा रहा हैं।
उन गरीब आँखो मे चमक तो नहीं पर उम्मीद जरूर हैं
पैरो मे चप्पल तो नहीं पर नंगे पाँव चलने का हौसला जरूर हैं।
किसी खिलौने को पाने की ज़िद तो नहीं,
पर दो वक़्त की रोटी कमाने की लालसा जरूर है।
भरपेट खाना तो नहीं हैं,
पर हिम्मत बहुत हैं।