क्या जिए...
सो साल जिए भी तो क्या जिए...
जिस जीने में न किसी का साथ हो,
न दुआ में उठा किसी के लिए ये हाथ हो,
न किसी के होठों पर मुस्कान लाई और न ही किसी के मन में तेरी मीठी याद हो...
बस चार दिन जिए तो यूं...
जिस जीने में न किसी का साथ हो,
न दुआ में उठा किसी के लिए ये हाथ हो,
न किसी के होठों पर मुस्कान लाई और न ही किसी के मन में तेरी मीठी याद हो...
बस चार दिन जिए तो यूं...