...

14 views

दोहा - ०१ ( प्रेम )
दोहा - ०१ ( प्रेम )

आठ पहर चौंसठ घड़ी
ना दिन मिले ना राती
हे प्रीतम तुमसे मिलन को
मैं तरसूं जस पाती

वृक्ष आलिंगनबद्ध करे
निकट रखे वह पाती
ज्यों -ज्यों बिरह आगमन करे
त्यों - त्यों छुटे पाती

तुझ बिन निर्मोही संसार मेरो...