❤❤❤
सुन
ये बता ना
कैसे कहूं उस हवा से
जो तेरी सुगंध लिए मेरे पास आती है
जो चाहते ना चाहते
तुझसे छू मुझे छूने आती है
सुन
ये बता ना
कैसे कहूं उस चांद से
जो हर शाम मेरी खिड़की से झांकता है
जो चाहते ना चाहते
मुझे तेरे होने का एहसास करा जाता है
सुन
ये बता ना
कैसे कहूं उस जुगनू से
जो मेरे हाथों को इस तरह थाम लेता है
जैसे तेरा स्पर्श जता रहा हो
सुन
ये बता ना
मैं कैसे कहूं उस गुलाब से
जो तेरे प्यार का
पैगाम थमा जाता है
सुन
ये बता ना
कैसे कहूं मैं
जब मुझे पता है
कि तू
दूर होकर भी
मेरे सबसे करीब रहता है।।
© unnati
ये बता ना
कैसे कहूं उस हवा से
जो तेरी सुगंध लिए मेरे पास आती है
जो चाहते ना चाहते
तुझसे छू मुझे छूने आती है
सुन
ये बता ना
कैसे कहूं उस चांद से
जो हर शाम मेरी खिड़की से झांकता है
जो चाहते ना चाहते
मुझे तेरे होने का एहसास करा जाता है
सुन
ये बता ना
कैसे कहूं उस जुगनू से
जो मेरे हाथों को इस तरह थाम लेता है
जैसे तेरा स्पर्श जता रहा हो
सुन
ये बता ना
मैं कैसे कहूं उस गुलाब से
जो तेरे प्यार का
पैगाम थमा जाता है
सुन
ये बता ना
कैसे कहूं मैं
जब मुझे पता है
कि तू
दूर होकर भी
मेरे सबसे करीब रहता है।।
© unnati