...

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दर्द मोहब्बत आंसू नफ़रत
दर्द मोहब्बत आंसू नफ़रत हार दिया है
बस जीने की खातिर खुद को मार दिया है

खूबीयाँ दिखती ही नहीं खामियों के बाद
कुदरत ने तुमको ये कैसा किरदार दिया है

तूफ़ाँ में मेरी नाव है खोया हुआ है ज़र्फ़
उस पार के लिए टूटी हुई पतवार दिया है

सभी को चाहिए मुक़्क़मल ज़हन के लोग
खुद हवस लिए हुए उम्र गुजार दिया है

आते हैं सलीके से फिर जाते हैं लूट कर
दुनिया में हाँ कहने को मगर प्यार दिया है

बर्बादीओं से वास्ता ना तोड़ना 'रितेश'
आबादीओं ने वक़्त-ए-इंतजार दिया है

© रितेश सिंह