...

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वजूद
उड़ने दो तितलियों,
की तरह,
ख़्वाबों को पंख दो,
खिलने दो कलियों,
की तरह,
उम्मीदों को रंग दो,
डोलने दो कश्तियों,
की तरह,
हौसलों को तरंग दो,
बहने दो नदियों,
की तरह,
जज़्बातों को उमंग दो,
चमकने दो बिजलियों,
की तरह,
वजूद को रोज़ नई जंग दो।
- राजेश वर्मा
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