...

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मुलाक़ात
हर मुलाक़ात मेें यह "रूप" निखरा-निखरा सा
हर बात मेें अधरों का, रूप खिला-खिला सा!!

हर साथ मेें, राहों का ये अंदाज़ जुदा-जुदा सा
हर साँस मेें कशिश, प्यार ये महका-महका सा!!

छू ले जो वो कमाल एहसास सोंधा-सोंधा सा
लब यूँही लरजते, यार मेरा सोणा-सोणा सा!!

गले लगाया जो उसने मन बहका-बहका सा
हसरतें जगी, ह्रदय मेें "प्रेम" उमड़ा-उमड़ा सा!!
© कृष्णा'प्रेम'