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privet stuff


सुनकर मम्मी खुश हो गई और बोली- तुम्हारे मालकि बहुत अच्छे है, तुम भी कभी उन्हें शकिायत का मौका नहीं देना और जैसा वो कहे वैसे ही सब काम करना।
यह सुनकर मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लयिा और उसके ओठों को चूसने लगा।
वो बोली- सर, कोई आ जायेगा।
मैंने दरवाजा अन्दर से लॉक कयिा और फरि उसे चूमने लगा और उसके बड़े बड़े चूचे दबाने लगा तो वो शरमाकर बोली- सर, धीरे धीरे ! प्लीज ! दर्द होता है।
थोड़ी देर उसको मसलने के बाद मैंने उसे छोड़ा और कहा- मैं देखना चाहता हूँ क िकल जो ब्रा और पेंटी मैने दी थी, वो फटि है या नहीं।
उसने कहा- नहीं नहीं सर ! यह नहीं हो सकता, मुझे बहुत डर लगता है।
तो मैंने कहा- ठीक है, फरि तुम जाओ।
वो वहीं खड़ी रही तो मैंने कहा- क्या हुआ? तुम घर क्यों नहीं जा रही?
तो उसकी आँखों में आँसू आ गए और वो मेरे पास आ कर मेरे से लपिट गई और बोली- सर, मैं आपको नाराज करके नहीं जा सकती हूँ, लेकनि मुझे शर्म आती है।
मैं उठ कर उसके पास गया और बोला- ठीक है, अगर तुम्हे शर्म आती है तो तुम अपनी आँखें बंद कर लो।
उसने वैसा ही कयिा, में धीरे से उसके शर्ट के बटन खोलने