...

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अपने अल्फाज़ो से
अपने अल्फाज़ो से कुछ शब्द चुराके
जो लिख दी मैंने ये कहानी
वो कहानी बन गई मेरी जिन्दगानी
मेरी जिंदगानी बन गई मेरी ये कहानी
मेरी कलम ने कहा ये मुझसे
गिरी पड़ी हूँ मैं, राहो में कब से
उठाकर तो देख मुझे तू बाहो में
उंगलियों और अंगूठे के बीच दबाकर हाथो में
लिख दे आज वो सब, जो दिल मे है तेरे
आज इस कलम को रुकने ना देना
दिल के जज़्बातों को, अब दिल मे रहने ना देना
जुबा बरसो से जो खामोश रही
दिल की बातों को, दिल के जज़्बातों को
आज शब्दो मे पिरोकर, लिख दी मैंने जो ये कहानी
वो कहानी बन गई मेरी जिन्दगानी
मेरी जिन्दगानी बन गई मेरी ये कहानी