...

18 views

बाबूजी
सपनों की चाह में,
घर से दो शौक लेके चला था,
रास्ते में कुछ जरूरतें दिख गई,
एक मध्यमवर्गीय परिवार में,
जरूरतों ने,
हमेशा शौक के आगे,
घुटने टेके हैं,
दर्द को बटोरटे,
इच्छाओं को रौंदते,
सपनों की आस में,
अरमानों की लाश पे,
मुठियों में रूपए कुचले,
माथे पे पसीना सज़ाए,
ऊपर वाली जेब में,
छोटे दीमाको वाली,
पन्नो की गठरियों पे लेखनी दबाये,
वो बाप,
आधे कटोरी की इज्जत छुपाए,
पुरे पेट की उम्मीद लिए जा रहा है....
© --Amrita

#writopoem
#happy father's day

#i hope financial ke jagah vo hmare mental health pe dhyan de to shyd middle class family me baap aur bacho ke bich itni duri nahi rah jaayegi...