...

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"अजनबी..******
प्यार कहते जिसे धोका ही नज़र आता है ।
पूरी शद्दत से जो इंसान को छल जाता है ॥

राह चलते हुए कोई अज़्नबी क़रीब आकर ।
चाहे अनचाहे ही इस दिल में उतर जाता है ॥

हस्रतें दिल की फ़ना होती हैं जिसकी ख़ातिर ।
बस उसी शख़्स को कुछ भी नही समझ आता है॥

ज़िन्दगी लाश, कभी बोझ,कभी पागलपन ।
क्या-क्या बन जाती है कोई नहीं बताता है ॥

हर नये मोड़ पे ..मिलते हैं.. कई ज़ख़्म नये।
चोट खाता है ये दिल फिर भी मुस्कुराता है॥

वफ़ा न आये उसे, बेवफ़ा न कह पाये।
साथ रहता भी है और साथ न निभाता है॥

✍️ प्रतिभा पाणिग्रही
ओडिशा

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