...

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मेरा गाँव
सख्त राहों मैं भी आसान सफर लगता है
ये मेरी माँ की दुआओ का असर लगता है
एक वीराना जहांन उम्र गुज़ार दी मैंने,
माँ को तस्वीर लगा दी है तो घर लगता है
आंखों मैं बड़े बड़े सपने लेकर
बस एक दिन सहर को चल दिये
दिन मैं चले थे हुई गहरी रात
छूट गया सारा अपनो का साथ
छोटे खेत है हरे भरे,पीपल के छाव
छूट गया यारो मेरा गांव
वक़्त का ये परिंदा रुका है कहा
मैं तो पागल जो इसको बुलाता रहा
4 पैसे कमाने मैं आया सहर
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा
गाँव मेरा मुझे याद आता रहा।।।