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तुझेक्याख़बर
#तुझेक्याख़बर

यही शहर शहर-ए-क़रार है तो दिल-ए-शिकस्ता की ख़ैर हो
मेरी आस है किसी और से मुझे पूछता कोई और है

ये वो माजरा-ए-फ़िराक़ है जो मोहब्बतों से न खुल सका
कि मोहब्बतों ही के दरमियाँ सबब-ए-जफ़ा...