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दरारें इन एड़ियों की..
गीले पांव से
फर्श पर बनी
तुम्हारी एड़ियों से झांकती दरारें
देख कर
मैं शायद नहीं पूछ पाऊं
कि क्या तुम्हारी एड़ियां फट गई है?
मैं तुम्हारा हाथ पकड़
तुम्हें खींच कर
तुम्हें कहूं
सुनो
इन पर हल्दी का लेप लगाया करो
मुझे तुम्हारी एड़ियों से बहुत प्यार है
ये मेरे आंगन में
तेरे आने की
पहली निशानी है..
मुझे नहीं आएगा कभी प्रेम करना
पर मैं चाहूंगा कि
तुम्हारी जगह मेरी एड़ियां फट जाए..
© नि शेष प्रेम
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