...

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बुद्ध हो क्या?
स्त्री कभी भी बुद्ध नहीं हो सकती
ना तो वो परिवार को छोड़ पाती है
ना ही आधी रात को, नितांत अकेले, निकल जाती है
ना ही वो ममता का गला घोंट
दुनिया के रीति रिवाज छोड़ पाती है
यदि वो ये सब कर भी पाए तो भी
कुलटा, कुलच्छनी, पापिन कहलाती है
और कुछ नहीं तो सालों कहां और कैसे बिताए के
सवालों की अग्नि में परिक्षा को धकेली जाती है
नहीं, नहीं, स्त्री कभी भी बुद्ध नहीं हो सकती
ये सब ना हो तो भी, इस समाज में
क्या कोई स्त्री बुद्ध सा स्थान प्राप्त कर पाई है?
क्योंकि स्त्री पुरुषों के साथ साथ
स्वयं स्त्री द्वारा ही सताई है
© Reema_arora