...

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तुम
कितनी मासूमियत है तुझ में और सच्चाई भी
सागर सी गहराई भी है और उस पर दानाई भी

तू मस्त हवा का झोंका या कोई घटा हो छाई सी
तुझे देखके जलती होगी बेशक तेरी परछाईं भी

तू कल- कल बहता झरना या ठण्डी...