...

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तुम
कितनी मासूमियत है तुझ में और सच्चाई भी
सागर सी गहराई भी है और उस पर दानाई भी

तू मस्त हवा का झोंका या कोई घटा हो छाई सी
तुझे देखके जलती होगी बेशक तेरी परछाईं भी

तू कल- कल बहता झरना या ठण्डी पुरवाई सी
एक ग़ज़ब का शोर हो जिसमें और तन्हाई भी

गुज़रे कहीं जब तू तो लगे फ़िज़ा इठलाई सी
तेरे तेज़ के आगे फीकी है शमां की रौशनाई भी

तेरे तसव्वुर से ही दिल में बजती है शहनाई सी
तुझे देख कर ग़श खा जाये चन्दा की रानाई भी
© parastish
दानाई - intelligence
रानाई - beauty

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