...

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Poem
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
यही तो जीवन की कड़ी है।
झूठ नहीं मजबूरी है।
© Thakuranmol