...

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शायर...
लफ्जो से कह नही पाते इसलिए तो स्याही
से बोल दिया करते है

वो शायर ही हे जनाब !
जो बिन अश्को के भी रो लिया करते है

हर कोई उन्हे नही समझ सकता इसलिए तो
वो अपने अल्फाजो मे कुछ एहसास छिपा दिया करते है

वो शायर ही हे जनाब !
जो दर्दो को समेत कर भी गजले बना लिया करते है

कभी आंसुओ की बारिश में भीग कर तो
कभी जज्बातो के समुंदर मे डूब कर फिर
उभर जाया करते है

वो शायर ही हे जनाब !
जो गमो को गले लगा कर भी मुस्कराया करते है

महफ़िलो की शान तो हे ही उनसे जो
अपने अश्को को भी अजमा लिया करते है

खुद मे ही खुद को समेट कर एक दिन एक
शायर बन जाया करते हैं..!



© shirri__