ज्ञान की फुसफुसाहट
शोर गुल से भरी जिंदगी,
किसको किसकी है परवाह?
हर कोई यूं व्यस्त पड़ा है ,
रिश्तों की अब किसको चाह ?
पड़ जाओ जो जब तुम तन्हा ,
ना सुन पाओ किसी की आहट,
खो जाओ अपनी दुनियां में ,
सुन लो ज्ञान की फुसफुसाहट,
कोई बांट सके ना इसको ,
ना कोई रिश्ता ,ना कोई...
किसको किसकी है परवाह?
हर कोई यूं व्यस्त पड़ा है ,
रिश्तों की अब किसको चाह ?
पड़ जाओ जो जब तुम तन्हा ,
ना सुन पाओ किसी की आहट,
खो जाओ अपनी दुनियां में ,
सुन लो ज्ञान की फुसफुसाहट,
कोई बांट सके ना इसको ,
ना कोई रिश्ता ,ना कोई...