...

12 views

मेरी ग़जल तुमसे...
गुनगुनाता रहा जिसे मैं, वो गजल तुमसे...
खफा खफा है सा ये मन, आजकल तुमसे...

बात हैरत की क्या है, जो तुम यूं बदल से गए...
जिंदगी के जुड़े हुए है, बहुत पल तुमसे...

मैं तो टूटा हुआ सा लफ्ज़ हूं, इक शायर का...
जुड़ा हुआ है आज देखो, हर शहर तुमसे...

बेरुखी की हो अगर बात, तो मुंह फेर भी लूं...
मेरी आंखो की रोशनी का, हर कमल तुमसे...

बैठा उम्मीद सा हूं मुद्दत से, कि तुम आओगे...
मिला न अब तक नसीबा का कोई फल तुमसे...

टूटकर मैं बिखर जाऊंगा, है ये उम्मीद मुझे...
कोई टुकड़ों पर लिखे मेरे, जुड़ी ग़ज़ल तुमसे...

नकाबों में ढके चेहरे, कई देखे हैं यूं जमाने ने...
हम तो ओढ़े हैं कफ़न देख लो, खुद के दम से...

बड़ी शिद्दत की मुहब्बत, बह गई अश्कों में...
खफा खफा सा है ये मन, आजकल तुमसे...