...

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केसे
अब मे गीत गज़ल या फिर कोई कविता नहीं लिखता ,
हा अब में तेरे बारे मे कुछ नहीं लिखता,,

तेरे जिक्र भर से तमाम ज़ख्म सदाब हो जाते है
में अब उन गुज़रे दिन को नहीं लिखता ,,,

बरसों रहा तेरा मेरा साथ
इस बात को जूठलाते भी तो केसे ?
सारे खत अब
हुए आतिश के हवाले
सुखी स्याही महकती भी तो केसे ,,
© jitensoz