...

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गुमशुदा
गुमशुदा

ठिकाने की तलब क्या,
राह के नजारों की दीवानगी भी नहीं।
बस...! इस आश में चला, की खो जाऊं।

खो जाऊं..! शाकाब में कन्ही,
इस कदर की, मंजिल क्या,
में खुद..?...