इंसान
#WritcoPoemChallenge
सड़क इंसान, शहर वीरान,
पशु-पक्षी स्वतंत्र, पिंजड़ो में बंद पड़ा इंसान।
इंसान जुबान बंद, जिस्म भयभीत,
पशु पक्षी चहचाहते, खुशी के गीत गाते,
शायद इंसानों को उसके कर्मों की याद दिलाते।
एक वक्त था, इंसानों ने जानवरों पर खूब दिखाई दरिंदगी,
आज खुद की खतरे में...
सड़क इंसान, शहर वीरान,
पशु-पक्षी स्वतंत्र, पिंजड़ो में बंद पड़ा इंसान।
इंसान जुबान बंद, जिस्म भयभीत,
पशु पक्षी चहचाहते, खुशी के गीत गाते,
शायद इंसानों को उसके कर्मों की याद दिलाते।
एक वक्त था, इंसानों ने जानवरों पर खूब दिखाई दरिंदगी,
आज खुद की खतरे में...