मुझ को चाहता है
वो पगलू, बुद्धू सा मेरा मुझ को बेपनाह चाहता है।
मेरी एक मुस्कान के लिए क्या क्या नहीं करता है।
किसी ने भी, किसी से की ना होगी ऐसी मोहब्बत,
प्यार को रब मानकर, वो सजदे में सर झुकाता है ।
कितना भी गुस्सा हो रूठकर भी दूर कहा रह पाता,
मेरी हर भूल को फूल समझकर नखरे...
मेरी एक मुस्कान के लिए क्या क्या नहीं करता है।
किसी ने भी, किसी से की ना होगी ऐसी मोहब्बत,
प्यार को रब मानकर, वो सजदे में सर झुकाता है ।
कितना भी गुस्सा हो रूठकर भी दूर कहा रह पाता,
मेरी हर भूल को फूल समझकर नखरे...