Tujhe Mehsus Karna
यूँ तो कई बार
ढ़लते सूरज की रौशनी
समेटी है मैनें खुद में...
पर आज एक अंधेरा दूर हुआ
जब आज तुम्हारे स्पर्श की
संवेदना महसूस हुई...
बन के एक लौ
जगमगा उठा तेरा ख़्याल दिल में...
मानों सदियों पुराने दर्द की चट्टाने
चूर चूर हो रहीं हो मुझमें
एक...
ढ़लते सूरज की रौशनी
समेटी है मैनें खुद में...
पर आज एक अंधेरा दूर हुआ
जब आज तुम्हारे स्पर्श की
संवेदना महसूस हुई...
बन के एक लौ
जगमगा उठा तेरा ख़्याल दिल में...
मानों सदियों पुराने दर्द की चट्टाने
चूर चूर हो रहीं हो मुझमें
एक...