ये साल एक और
#गिनतीकीगूंज
फ़िर ढ़लते-ढ़लते, ढ़ल गया, ये साल एक और
हाथों से फ़िर फ़िसल गया, ये साल एक और
बढ़ाके अपनी उम्र, और घटाकर ज़िन्दगी
जाने किधर चला गया, ये साल एक और।
तारीख़ सँग, ये साल कल, बदल ही जायेगा
यादों में फिर ये,...
फ़िर ढ़लते-ढ़लते, ढ़ल गया, ये साल एक और
हाथों से फ़िर फ़िसल गया, ये साल एक और
बढ़ाके अपनी उम्र, और घटाकर ज़िन्दगी
जाने किधर चला गया, ये साल एक और।
तारीख़ सँग, ये साल कल, बदल ही जायेगा
यादों में फिर ये,...