...

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थोड़ी सी ज़मीं
थोड़ी सी जो मिले ज़मीं,
मुझको है पूरा ये यकीं,
फिर से हम लहलहाएंगे,
अपना कर धरती पूरी,
फिर से इसे सजाएंगे,
थोड़ी सी जो मिले ज़मीं,
धरती को स्वर्ग बनाएंँगे,
बारिश की बूंँदों को पी
हम फिर से छा जाएँगे ,
थोड़ी सी जो मिले ज़मीं,
हम फिर से खिल जाएँगे।