...

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Duriyaa....
किसी अनजान हथेली ने,
मुझे पकड़ कर रखा था।
सायद तुम मेरी सुकुन हो;
वह जान चुका था।
में चिखती रही हमारे दुरियां मिटाने,
वह अपने कोशिश में जारी था।
तुम्हारे सोच जायज़ हैं,
तुम्हारे नाराजगी सरआंखों पें,
सायद , तुमकों अनसुना करने के सजा,
वह अनजान दें चुका था।


@soul