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बचपन
#स्मृति_कविता
याद आते है वो बचपन के दिन ।
जब रह नही पाते थे दोस्तों के बिन ।।
वो सोनू ,वो दिनेश ,वो महिंद्र बहुत याद आते है
वो आम के पेड़ पर चढ़कर कच्ची आम खाना
बहुत याद आता है
अब ना जाने कहाँ चले गये वो खुशियों के दिन
ना जाने कहाँ गई वो असली मुस्कुराहट
ना जाने कहाँ गये वो खिलखिलाते चेहरे
बचपन के दिन होते बड़े मजेदार ।
खेलने का करता है मन चाहे जितना भी हो बुखार ।।
आजकल के बच्चें तो मोबाइल में घुसे रहते
करके ऑंखे खराब वो चश्मा है लगाते
आजकल वह पहले जैसी बात ना रही
कोई लौटा दो मेरे बीते हुए दिन ।
जब नही रह पाता था दोस्तों के बिन।।
© All Rights Reserved
याद आते है वो बचपन के दिन ।
जब रह नही पाते थे दोस्तों के बिन ।।
वो सोनू ,वो दिनेश ,वो महिंद्र बहुत याद आते है
वो आम के पेड़ पर चढ़कर कच्ची आम खाना
बहुत याद आता है
अब ना जाने कहाँ चले गये वो खुशियों के दिन
ना जाने कहाँ गई वो असली मुस्कुराहट
ना जाने कहाँ गये वो खिलखिलाते चेहरे
बचपन के दिन होते बड़े मजेदार ।
खेलने का करता है मन चाहे जितना भी हो बुखार ।।
आजकल के बच्चें तो मोबाइल में घुसे रहते
करके ऑंखे खराब वो चश्मा है लगाते
आजकल वह पहले जैसी बात ना रही
कोई लौटा दो मेरे बीते हुए दिन ।
जब नही रह पाता था दोस्तों के बिन।।
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