मेरा दुःख ✍️✍️✍️
तुम मुझसे मेरा दुःख ना पूछो सुख ना बूझो मुझसे
समझ ना पाया आज तलक की क्या चाहूँ मै खुदसे
आँख समंदर भरा पड़ा है और जबान पर सूखा है
मत पूछो कित कित गिर आया जाने कितना टूटा है
मुझे ना भाये ये सुख ये दुःख मै इनसे हुआ पराया जी
मै खाकर धोका जहाँ गिरा बस रब ने मुझे उठाया...
समझ ना पाया आज तलक की क्या चाहूँ मै खुदसे
आँख समंदर भरा पड़ा है और जबान पर सूखा है
मत पूछो कित कित गिर आया जाने कितना टूटा है
मुझे ना भाये ये सुख ये दुःख मै इनसे हुआ पराया जी
मै खाकर धोका जहाँ गिरा बस रब ने मुझे उठाया...