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मैं अतुलानंद हूँ,मैं अतुलानंद हूँ।
मैं उज्जवल भारत के भविष्य का,चमकता हुआ माथा हूँ
दो महापुरुषों के द्वारा गायी गई,इक कालजयी गाथा हूँ
ब्रह्मलीन स्वामी जी का मैं,साक्षात आशीर्वाद हूँ
संस्कृति और सादगी का,मैं ही तो संवाद हूँ
माँ विद्या की स्नेहिल छाया में,मैं बच्चों का आनंद हूँ
मैं अतुलानंद हूँ,मैं अतुलानंद हूँ

अपनी तीनों शाखाओं के बिन पूरी तरह अधूरा हूँ
गिलट बाजार और परमानंदपुर के साथ से ही पूरा हूँ
सचिव सर के अथक परिश्रम का, बहुमूल्य प्रसाद हूँ मैं
नित्य नवीन खिल-खिलाहटों से,निरंतर आबाद हूँ मैं
चार दशक पहले से गाया,मैं एक सुनहरा छंद हूँ
मैं अतुलानंद हूँ मैं अतुलानंद हूँ

सभी प्रकार की होने वाली कुटिलताओं से वंचित हूँ
संस्कारों से भरे हुए,बच्चों से...