इब्तिदा-ए-मोहब्बत
रिदा बन लज़रती बाहों को अलाव दूंगी,
अज़ा के सफ़हों को तुमसे जुदा कर दूंगी,
स्याह बादल भी बारिश बन सहर लाएगा,
इश्क़ में ऐसे इंतजामात ब-ख़ुदा कर दूंगी,
भूल...
अज़ा के सफ़हों को तुमसे जुदा कर दूंगी,
स्याह बादल भी बारिश बन सहर लाएगा,
इश्क़ में ऐसे इंतजामात ब-ख़ुदा कर दूंगी,
भूल...