tere pass ana chahta Hu..
कभी कभी वक़्त इतना बेरहम हो जाता है.
कि हम चीख चीखकर रोना चाहते हैं लेकिन रो नहीं सकते..
हम बिखर जाना चाहते हैं लेकिन कोई समेटने वाला नहीं होता.
वक़्त इतनी इजाज़त नहीं...
कि हम चीख चीखकर रोना चाहते हैं लेकिन रो नहीं सकते..
हम बिखर जाना चाहते हैं लेकिन कोई समेटने वाला नहीं होता.
वक़्त इतनी इजाज़त नहीं...