...

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अलग सी बातें
वो कहता है वो मुझे बयां नहीं कर सकता!
लेकिन वहीं मुझे पन्नों पे उतारता है।

वो कहता है वो मुझे सवार नहीं सकता!
लेकिन वही मुझे अपने शब्दो से संवारता है।

वो कहता ये मेरी ज़ुल्फ उसे बहोत सताती है!
लेकिन वहीं मेरी ज़ुल्फ से खेलता है।

वो कहता वो मेरी आंखो में कभी आंसू नहीं आने देगा!
लेकिन वहीं हसा हसा के मेरे आंखो में आंसू लाता है।

वो कहता है मेरी पायल बहोत शोर मचाती है!
लेकिन वही मेरी नई पायल की कड़ी लगाता है।

वो कहता तुम खुले बालों में बहोत खूबसरत लगती हो!
लेकिन वहीं मेरे जुड़े में गजरा लगता है।

वो कहता मत करो ये श्रृंगार!
लेकिन वही मेरी माथे पर बिंदिया लगाता है।

वो कहता है तुम साड़ी में कहर ढाती हो!
लेकिन वही मेरे लिए Western भी लाता है।

वो कहता तुम घर का खयाल रखो!
लेकिन वही office जाते जाते मुझे मेरे office छोड़ जाता है।

वो कहता है वो जो चाहे वो कर सकता है!
लेकिन वही सलाह लेने मेरे पास आता है।

गुस्सा भी करता है और प्यार भी!
इसलिए कहता भी अलग है और करता भी अलग है।

-दिव्या चौधरी