...

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ग़म...
ये जानता हुं मैं की, ज़िंदगी में ग़म कम नहीं
मौत बेहतर तो लगती है मगर
उसको पाने में ज़िंदगी का संघर्ष कम नहीं
सालों का इंतजार है, उम्र के हिसाब से
अपने आज का शुक्र अदह कर, बीते कल का ग़म नहीं...

संसार के नियम है, कोई मदारी का खेल नहीं
जमीन पे गिरा सिक्का भी अनमोल है पर,
नीचे गिरे उन फूलों का कोई मोल नहीं
ये जीवन का रचनाधार है जो सबका
किसी के लिए पत्थर की मूरत है वो,
किसी के लिए बेहद अनमोल ही सही

कुछ ऐसे ही चलती रहेगी जिंदगी मगर
कितने कीमती लम्हे बीत गए कोई हिसाब नही
नम आंखों से बैह गए जो मोती यहां फिसलकर
समझो तो बोहत कुछ है, ना समझो तो कुछ भी नही
माना की संसार बिना सहारे के नही चलता मगर,
जब आए थे और जब जायेंगे तो साथ कोई होगा नही...

ये जानता हुं मैं की, ज़िंदगी में ग़म कम नहीं
मौत बेहतर तो लगती है मगर
उसको पाने में ज़िंदगी का संघर्ष कम नहीं
सालों का इंतजार है, उम्र के हिसाब से
अपने आज का शुक्र अदह कर, बीते कल का ग़म नहीं...

-Aezz ख़ान...
© Aezz खान...