...

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बोल
बोलना हो तो मीठा और सत्य बोलो
पान करना है तो क्रोध का पान करो
भोज करना है तो अहंकार का भोज करो
रहना है तो किसी के घर में नहीं दिल में निवास करो
खिलना हो तो किसी के होठों पर मुस्कुराहट बनकर खिलो
सुंदर बनना है तो तन से नहीं मन से बनो
जीना है तो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जियो
सच्चा प्यार करना है तो उसे अविनाशी से करो किसी संसार वासी से नहीं ।।

© Mamta