बोल
बोलना हो तो मीठा और सत्य बोलो
पान करना है तो क्रोध का पान करो
भोज करना है तो अहंकार का भोज करो
रहना है तो किसी के घर में नहीं दिल में निवास करो
खिलना हो तो किसी के होठों पर मुस्कुराहट बनकर खिलो
सुंदर बनना है तो तन से नहीं मन से बनो
जीना है तो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जियो
सच्चा प्यार करना है तो उसे अविनाशी से करो किसी संसार वासी से नहीं ।।
© Mamta
पान करना है तो क्रोध का पान करो
भोज करना है तो अहंकार का भोज करो
रहना है तो किसी के घर में नहीं दिल में निवास करो
खिलना हो तो किसी के होठों पर मुस्कुराहट बनकर खिलो
सुंदर बनना है तो तन से नहीं मन से बनो
जीना है तो अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जियो
सच्चा प्यार करना है तो उसे अविनाशी से करो किसी संसार वासी से नहीं ।।
© Mamta
Related Stories