डर से ईतना मत डर
डर से ईतना मत डर
ओ मेरे मन डर से इतना मत डर
हर डर पीछे रह जायेगा
अगर तु बैठेगा ठानकर
ओ मेरे मन डर से ईतना मत डर
कुछ हासिल न होता किसी को
यूं सिर्फ़ आंहे भर भर कर
बीज ना बनता पैड कभी जो
जीता नहीं मिट्टी में मिलकर
आलस, इर्ष्या, शंशय रोगने
पकडा है तुजे डबोचकर
अपनी सारी जान लगा और
उठ...
ओ मेरे मन डर से इतना मत डर
हर डर पीछे रह जायेगा
अगर तु बैठेगा ठानकर
ओ मेरे मन डर से ईतना मत डर
कुछ हासिल न होता किसी को
यूं सिर्फ़ आंहे भर भर कर
बीज ना बनता पैड कभी जो
जीता नहीं मिट्टी में मिलकर
आलस, इर्ष्या, शंशय रोगने
पकडा है तुजे डबोचकर
अपनी सारी जान लगा और
उठ...