...

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माँ के बिना सुना है जहाँ (माँ का प्यार)
जब हम बच्चे थे,
तो वो मेरे पास थीं!
पर यह एहसास न था हमें कि,
वो मेरे लिए सबसे खास थी!
ये वक्त भी कितना अजीब है,
ये कैसा मेरा नसीब है!
आज हम बड़े हुए तो,
वो मेरे पास नहीं!
पर आज मुझे एहसास है कि,
वही मेरी अलफ़ाज़ थी!
मेरे हर धड़कन में ये लिखा है,
कि वो मेरे कितने पास थी!
विधाता तेरी ये कैसी रीत है,
उन संग ही मेरा प्रीत है!
ये वक्त भी कितना अजीब है,
ये कैसा मेरा नसीब है!
ये दुनिया कितनी निर्मोही है,
माँ तेरे जैसा कोई नहीं!
तेरे ममता में सारा संसार समाया था,
पर आज तेरे ममता जैसी कोई नहीं!
इस निर्दयी संसार में,
अब जीने की चाह नहीं!
आना चाहूँ तेरे पास मैं,
अब मन में कोई आश नहीं!
न प्रेम मिला, न प्रीत मिली,
न तुझ- सा कोई जीत मिली!
एक तमन्ना है मन में बस,
तेरा सपना साकार करूँ मैं!
पुरा कर तेरे अरमा को,
अब लौट तेरे पास चलूँ मैं!
पहन कर खाखी वर्दी को मैं,
तेरे सपने का उडा़न भरुं मैं!
अब दिल में कोई चाह नहीं,
बस लौट तेरे पास चलूँ मैं!
ये वक्त भी कितना अजीब है,
ये कैसा मेरा नसीब है!!

© Anishtha Priya Agarwal🙏🙏