...

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दोस्त
खुशनसीब हूं मैं जो दोस्त बेमिसाल मिले,
मामूली से नहीं जानिसार मिले,
समझ नहीं आता तुम्हारा एहसान केसे चुकाऊंगा,
आगे केसे दोस्ती अपनी में निभाऊंगा,

निभाने की भला कोशिश भी करूंगा,
एहसान जताने की ख्वाहिश भी करूंगा,
पर तुम ना हो बड़े ही कमीनी चीज़ हो,
तुमसे बातो में एहसान को ही भुला बैठूंगा।।