...

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गुम हू कही
ज़ब भी टटोलोगे अपने ज़हन को करीब हमें ना पाओगे
दिल में रहने वाले को भला दिमाग़ में ढूंढ़ कहा पाओगे

हम मनाते थे तुम्हें रूठनें पर हर बखत रिश्ता ये दिल का था
रूठा हुआ छोड़कर हमें क्या तुम भला ख़ुश रह पाओगे

नादानियाँ बहुत हुई थोड़ा अहसास तुम्हें उल्फत का हों
क्या हमें तुम छोड़कर दूजे से इश्क़ भी कर पाओगे

आशिक़ है सच्चे दिल से कोई खिलौना मिट्टी का नहीं है
जों इस कदर ए बेरहम तुम हमे तोड़कर चले जाओगे

आना इसी गली इन्ही कुचों मे मुक़्क़मल तुम्हें ख़ुशी होगी
गुम हू कही यादों में दिल से ढूंढो तो करीब खुद के पाओगे
© V K Jain