...

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कभी आओ इधर...
कभी आओ इधर मुझको समेटो
मैं तिनकों सी कहीं बिखरी हुई हूं ...
बुरा कोई नहीं होता जन्म से
वक़्त मैं उलझी हुई हूं...
ज़माने ने मुझे जितना कुरेदा
मैं उतनी और भी गहरी हुई हूं !!!!

© kirti