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तुम्हारा जीवन
वह जीवन कोई जीवन नही जिसमे रुकावट हो,वह जीवन कोई जीवन नही जिसमे बाधा हो।

तुम जियो खुल कर वह जीवन तुम्हारा है,पर यह हमेशा याद रहे उस जीवन से बंधे आस तुम्हारे न हैं इसलिये तुम करना सदैव अच्छा कर्म क्योंकि वह जीवन तुम्हारा है।

वह जीवन तुम्हारा है इसलिये तुम जियो उसे अपने लिये पर दूश्रों के मक्सद से।वह जीवन तुम्हारा है इसलिये तुम जियो उसे कुछ अपने लिये कुछ अपनो के लिये।

समर्पित कर दो उस जीवन को तुम अच्छाई के नाम,मत भटकने दो तुम बुराई को उसके इर्द-गिर्द क्योंकि वह जीवन तुम्हारा है।

वह जीवन तुम्हारा है इसलिये तुम जियो उसे उस ढंग से जिससे की उस्से किसी की कुछ हानी न हो और जिस दिवस तुम्हारे जीवन से किसी को कुछ हानी हो तो तुम समझ लेना की वह जीवन वयर्थ है।

इसलिये तुम प्रण लो और समर्पित कर दो अपने जीवन को तुम अच्छाई के नाम ,क्योंकि वह जीवन तुम्हारा है।


:-दिव्य प्रकाश