...

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नए शहर में
नए शहर में नया नया है सभी !
भागमभाग चिल्ल पौ मची चहुंओर !
हर आदमी अपने में ही लगा हुआ ,
घूम रहा समय चक्र अहर्निश पुरजोर !!

ढूँढता मन सुकूं के पल ,प्यार की छाँव !
पर मिलेगा कहाँ रफ़्तार में ठहराव ?
वो उन्मुक्त गगन ,पंछियों की कलरव ,
नदी का किनारा ,मधुर प्रेम की ठाँव ?

आब-औ-दाना लिखा है नियती ने यही !
छोड़ आया मन ये यादें ,दूर-दूर ही कहीं !!
बिठा रहा हूँ साम्य नए नूतन परिवेश में ,
वक्त-औ-हालात सिखाएंगे,क्या गलत क्या सही ?
©MaheshKumar Sharma
19/3/2024


#खोईशहरकीशांति
#MeriKavitaye
#maheshkumarSharma

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