अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू
माँ की पहचान तू
अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू ,
माँ के लिए,माँ से जुड़ा ,माँ का पहला अरमान तू ।।
तेरी जुबा को पहले छुआ जिस लफ्ज ने,
बन उसका स्वाभिमान तू ,
माँ की ख़ाहिश और उसकी जान तू,
अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू।
उसकी अगुली, तेरे हाथो को जब कभी थाम लेती।
वो जो अपनी जुबा से बस तेरा ही नाम लेती।
जिसके दामन की चमक तू, जिसके लिए अभिमान तू .
अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू।
जिसकी खुशबू तेरी ताकत,
जिसकी बाते तेरी हिम्मत,
रोशन किया तुझे,
जो तेरी पहली मोहब्बत।
गम ख़ुशी में साथ तेरे ,बन उसका स्वाभिमान तू।।
अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू।|
जिसकी आंखों में हो आसू,
जिसके माथे में गर सिकन हो,
दूर कर गम के बादल,
बन उसकी मुस्कान तू ।।
अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू।।
संदेश ..........रचित
जननी मातृभूमि को समर्पित 🙏🙏
© SandeshAnkita
अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू ,
माँ के लिए,माँ से जुड़ा ,माँ का पहला अरमान तू ।।
तेरी जुबा को पहले छुआ जिस लफ्ज ने,
बन उसका स्वाभिमान तू ,
माँ की ख़ाहिश और उसकी जान तू,
अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू।
उसकी अगुली, तेरे हाथो को जब कभी थाम लेती।
वो जो अपनी जुबा से बस तेरा ही नाम लेती।
जिसके दामन की चमक तू, जिसके लिए अभिमान तू .
अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू।
जिसकी खुशबू तेरी ताकत,
जिसकी बाते तेरी हिम्मत,
रोशन किया तुझे,
जो तेरी पहली मोहब्बत।
गम ख़ुशी में साथ तेरे ,बन उसका स्वाभिमान तू।।
अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू।|
जिसकी आंखों में हो आसू,
जिसके माथे में गर सिकन हो,
दूर कर गम के बादल,
बन उसकी मुस्कान तू ।।
अपनी माँ को माँ कहके पहचान तू।।
संदेश ..........रचित
जननी मातृभूमि को समर्पित 🙏🙏
© SandeshAnkita