ग़ज़ल
आज की ताज़ा प्रस्तुति ~
जीने के सामान बहुत हैं।
पर दिल में अरमान बहुत हैं।
हैवानों की बढ़ती टोली,
खौफ़ज़दा इंसान बहुत हैं।
सीने में इक आग लगी है,
बारिश के इमकान बहुत हैं।
कहाँ कहाँ हम माथा...
जीने के सामान बहुत हैं।
पर दिल में अरमान बहुत हैं।
हैवानों की बढ़ती टोली,
खौफ़ज़दा इंसान बहुत हैं।
सीने में इक आग लगी है,
बारिश के इमकान बहुत हैं।
कहाँ कहाँ हम माथा...