...

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कातिल
पेट पालने वालों के पेट कट रहे हैं
हमारे किसान राजनीति के आग में जिंदा जल रहे हैं
हक के लिए लड़ते-लड़ते सड़कों पर मर रहे हैं
मर नहीं रहे उनके कत्ल हो रहे हैं
कत्ल करने वाले आराम की नींद सो रहे हैं
कातिलों के सरदार घड़ियाली आंसू रो रहे हैं
किसानों के न्याय की बात बोल रहे हैं,
कत्ल करने वाले कातिल को खोज रहे हैं!
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