पैसा और जीवन
मुझको ऐसा लगता है कि
छिन्न गया है मेरा सब,
एक ही चक्कर के जीवन से
खिन्न गया है मन मेरा अब।
उठो! जागो! पैसे को भागो,
जीवन अपना पैसे मे डालो,
पैसों से ही अब रिश्ता बांधो,
मीट गए पैसे तो जीवन जलालो।
यहाँ कोई सुनने को तैयार नहीं,
सब अपनी कहने पर रहते हैं।
हो गर्दन पर तलवार सही,
सब अपना गुणगान ही करते हैं।।
ईश्वर ने दिया है जीवन प्यारा,
इसपर क्यों सबने पैसा दे डाला?
जीलो जबतक है जीवन सारा,
मीट जाए जीवन जो लग जाये भाला।
© Aryan Kishu
छिन्न गया है मेरा सब,
एक ही चक्कर के जीवन से
खिन्न गया है मन मेरा अब।
उठो! जागो! पैसे को भागो,
जीवन अपना पैसे मे डालो,
पैसों से ही अब रिश्ता बांधो,
मीट गए पैसे तो जीवन जलालो।
यहाँ कोई सुनने को तैयार नहीं,
सब अपनी कहने पर रहते हैं।
हो गर्दन पर तलवार सही,
सब अपना गुणगान ही करते हैं।।
ईश्वर ने दिया है जीवन प्यारा,
इसपर क्यों सबने पैसा दे डाला?
जीलो जबतक है जीवन सारा,
मीट जाए जीवन जो लग जाये भाला।
© Aryan Kishu