...

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छोटी सी फ़रमाइश
कब से सम्भाल कर रखा था निगाहों में उनको ,
आज उन्होंने कर ली मेरे गालों को चूमने की
ख्वाहिश ,
मैंने भी मौक़ा नहीं दिया
शिकायत का उनको
और कर दी पूरी ,
उनकी ये छोटी सी फ़रमाइश !
बस निकलकर आँखों से छलक पड़े वो ,
बेपरवाह से मेरे गालों पे ढलक पड़े वो ,
चूमकर गालों को मेरे ,
उनको तसल्ली मिल गयी ,
और जी भर कर रो लेने के बाद ,
मेरे चेहरे पर फिर से
वो खोयी हुई हंसी खिल गयी !